जब जी आया खेला ; जब जी आया तोडा
शायद उसने इंसान नहीं , खिलौना मुझे समझा |
उसने कहा साहिल पे मिलूंगी
लहरे बन हर साहिल पे हमने
उसका कदमे निशाँ ढूँढा
शायद उसने इंसान नहीं , खिलौना मुझे समझा |
उसने कहा मंजिल तुझे ज़रूर मिलेगी
मंजिल क्या थी , एक बार नहीं पुछा
शायद उसने इंसान नहीं , खिलौना मुझे समझा |
उसने कहा ख्वाबो मे मिलेगी
खाबो मे उसका जाना , बार बार देखा
शायद उसने इंसान नहीं , खिलौना मुझे समझा |
शायद उसने इंसान नहीं , खिलौना मुझे समझा |